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Showing posts from February, 2012

पात्तया-2 : थोड़ा-सा अल्हड़, थोड़ा-सा निठल्ला

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दुनिया के सबसे बिंदास शहरों में शुमार पात्तया के यात्रा-संस्मरण की अगली कड़ी की शुरुआत, चलिए, एक सवाल से करते हैं। आखिर वो क्या वजह है कि अपनी चिर-परिचित रंगीली छवि के विपरीत यह शहर हर उम्र के लोगों के लिए बेहतरीन गंतव्य साबित होता है ? इस सवाल का जवाब एक ही शब्द में पात्तया की मुकम्मल तस्वीर खींच देता है ; और यह शब्द है- विविधता। एक तरफ पात्तया की हवाओं में हल्ला-गुल्ला है, मदमस्ती है, रोमांच है, शोख़ी है, अल्हड़ता है... तो दूसरी तरफ पात्तया में एकांत है, सुकून है, आवारगी है, आलस है, निठल्लापन है। और जब ऐसा है तो फिर पात्तया का रुख़ करने से कौन रोके नौजवान जोड़ों को !! युवा मन... जो कभी बेपरवाह होकर बिखरना चाहता है, तो कभी रूमानी होकर ख़ुद में सिमटना चाहता है। पात्तया की इस ख़ासियत के बारे में मैं तब तक नहीं जानता था जब तक मैंने यहां कदम नहीं रखा था ; और कोई दूसरा भी शायद इसे तब तक न समझ पाए जब तक वो ख़ुद पात्तया न हो आए। अगर कोई यह सोचे कि छोटे-से शहर में इतना कुछ कैसे....तो उसके लिए यह जानना कहीं ज़्यादा हैरतख़ेज होगा कि यहां के विविध रंगों में सराबोर होने के लिए समंदर क

पात्तया-1 : रंगीन शहर, बेमिसाल रंग

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बैंकॉक के सबसे बड़े बस टर्मिनल मो चित से अपने तय समय पर चली एयरकंडीशन्ड बस 165 किलोमीटर का सफर तय करके पौने दो घंटे बाद जब पात्तया में दाखिल हुई, तब तक कुछ दिन से मन में उमड़ रहा एक अजीब-सा संशय उबलकर पक चुका था। बहुतों से सुना था इस शहर के बारे में, पर बात सब एक तरह की करते थे ; और वो ये कि ‘ बहुत बिंदास शहर है पात्तया, बहुत खुलापन है वहां...उसके रौनक-मेले का तो कहना ही क्या। ’ संशय असल में इसी बात को लेकर था। मेरे जैसा घुमक्कड़ इन्सान जो थोड़ा पैसा जोड़कर किसी सफ़र पर निकल जाने में यकीन रखता हो और जगह-जगह की तहज़ीब व जीवनशैली से जान-पहचान बढ़ाने में सुकून पाता हो, वो कहीं पात्तया जाकर ग़लती तो नहीं कर रहा। कहीं ऐसा तो नहीं कि मेरे आने वाले दो दिन केवल एक शहरनुमा ‘ रेडलाइट एरिया ’ में बीत जाएं। लेकिन, फिर दो बातें सोचकर मन को समझाया। एक तो यह कि कोई जगह अगर सांस ले रही है तो वहां यकीनन हर वो रंग होगा जो किसी भी जगह के ज़िंदा रहने के लिए ज़रूरी है ; करना बस इतना होगा कि उन रंगों को देखने लिए नज़रिया खुला रखा जाए। और दूसरी यह कि अगर पात्तया केवल वही है जो सुना है, और उसके सिव