about me
सबसे
पहले ब्लॉग पर आने का शुक्रिया!!! ...अब मेरी राम कहानी
पंजाब
के संगरूर ज़िले के एक छोटे-से (अब बड़ा हो चुका है) शहर धूरी में साल 1972
के अगस्त माह की 13 तारीख को जन्म। बड़ा होने
पर पता चला कि फिदेल कास्त्रो, अल्फ्रेड हिचकॉक, वैजयंती माला और श्रीदेवी का जन्म भी इसी तारीख का है। बाद में शोएब
अख़्तर का नाम भी इसमें जुड़ गया। ख़ैर...!! पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूं। कुछ समय
पहले तक पत्रकारिता पेशा था जो 14 साल तक लगातार रहा था। फिर एक समय
ऐसा आया कि हर रोज़ के एकरस काम से ऊब होने लगी.... लगा कि बहुत ज़रूरी कुछ पीछे
छूटता जा रहा है। मन को कड़ा किया और नौकरी से इस्तीफा देकर मुंबई चला आया। मुंबई आकर दो साल तो किसी तरह गुज़ारे, लेकिन धनाभाव सताने लगा... फिर डेढ़ साल नौकरी की, लेकिन तीन बरस पहले मन कड़ा करके नौकरी फिर छोड़ दी, फिर दोबारा कभी नहीं करने के लिये...!!!
थोड़ा-बहुत लिखने का प्रयास चलता रहता है।
नौकरी छोड़ने के बाद से पढ़ना थोड़ा ज़्यादा हो पा रहा है। सिनेमा,
यात्रा, कला, संस्कृति तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्दे प्रिय विषय हैं। गाहे-बगाहे गीत, कविताएं
और ग़ज़लें कह लेता हूं। दोस्तों-नातेदारों को ज़िंदगी के फ़लसफ़े समझाने की बुरी
आदत है। हां, थोड़ा सुधार किया है। पहले बिना पूछे समझाता था,
अब कोशिश रहती है कि पूछे जाने पर ही मुंह खोला जाए।
बेहतर होने की गुंजाइश को हमेशा निगाह में
रखकर चला हूं, चलता रहूंगा। बहुत सारी कमियां हैं,
कमज़ोरियां हैं। कोशिश रहती हैं उनसे निजात पा सकूं, या फिर जीवन पर उनके असर को कुछ कम कर सकूं। कुछ दिन बीतने के बाद
आत्मवीक्षण की प्रक्रिया से गुज़रना हो जाता है। ख़ुश रहने का प्रयत्न करता हूं,
ख़ुशी बांटने का प्रयत्न करता हूं। माफ़ करना सीख रहा हूं।
घूमने-फिरने का ख़ासा शौक़ीन हूं...लेकिन
पर्यटन का नहीं, घुमक्कड़ी का। जब मौका मिलता है,
निकल लेता हूं। कह सकते हैं कि पैरों में चक्का बंधा है। जो कुछ कमाया, घूमने में ख़र्च कर दिया... और जो
देखता हूं, समझता हूं, गुनता हूं,
उसे कागज़ पर उतारने का प्रयास करता हूं। समय बीतने के साथ यह प्रयास निखार ले रहा है, ऐसा जानने वाले कहने लगे हैं। ज़्यादातर
घुमक्कड़ी बेहद कम सामान के साथ और बिना किसी बड़ी तैयारी के की है।
डाक टिकट संग्रह करने का शौक़ तब से है जब 9वीं कक्षा में था। शौक़ बरकरार है, लेकिन अब समय
नहीं दे पाता। पर यह जानता हूं कि इसी शौक़ ने घुमक्कड़ी के कीड़े को जन्म दिया और
उसे पाल-पोस कर बड़ा भी किया। डाक टिकटों के अलावा जगह-जगह की मुद्राएं भी एकत्र
की हैं, अब भी कर रहा हूं।
मेरे लिखे पर आपके प्रतिक्रियाओं,
टिप्पणियों, सुझावों और शिकायतों का स्वागत
है। आपका एक ही शब्द मुझे नई ऊर्जा दे सकता है, नया हौसला दे
सकता है, नया विश्वास मन में भर सकता है। इसलिए, कृपया, हिचकिचाएं नहीं। मुझे आप betterperson@gmail.com
पर पाती भेज सकते हैं।
आभार!!!!